तो योगी के अगल-बगल रहेंगे राहुल और अखिलेश

-रवि किशोर श्रीवास्तव

कन्नौज लोकसभा सीट जीतने के बाद अखिलेश यादव ने विधायकी छोड़ी और अब राहुल गांधी ने केरल के वायनाड को छोड़ने का फैसला कर लिया यानी ‘दो लड़कों की जोड़ी’ अगले पांच साल तक लखनऊ के आसपास ही रहेगी। कांग्रेस फिलहाल यही संदेश देना चाह रही है, और इस संदेश को व्यापक बनाने के लिए कांग्रेस की पावर पैक्ड प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा “हमें भावुक फैसला करना था रायबरेली और वायनाड की जनता का आभार जताते हैं लेकिन संवैधानिक नियमों की वजह से कांग्रेस दोनों सीटों में से एक छोड़ने पर रजामंद हुई है राहुल रायबरेली के सांसद बने रहेंगे हम चाहते हैं प्रियंका गांधी वाड्रा वायनाड सीट से चुनाव लड़ें”। इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस मौजूद राहुल गांधी ने भावुक अंदाज में अपनी बात रखी

“रायबरेली और वायनाड दोनों मेरा घर है मैं आश्वस्त करता हूं कि वायनाड छोड़ने के बाद भी वहां के लोगों के लिए मैं हमेशा खड़ा रहूंगा”

आमतौर पर कांग्रेस कार्यसमिति के फैसले प्रेस नोट या संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश बताया करते थे मगर सोमवार की शाम कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और केसी वेणुगोपाल मीडिया से मुखातिब हुए और दोनों सीटों में राहुल के रायबरेली रखने और वायनाड सीट छोड़ने का फैसला सुनाया.. संतुलन बनाए रखने और वायनाड के लोगों के बीच कनेक्ट साधने की बात भी कही गई लगे हाथ प्रियंका गांधी वाड्रा के पहली बार चुनाव लड़ने का ऐलान हुआ । मोटा मोटा समझिए वायनाड सीट पर राहुल के रिक्त स्थान को प्रियंका गांधी वाड्रा भरेंगी । प्रियंका गांधी वाड्रा राहुल गांधी के साथ वायनाड की सभाओं में जाती रही हैं लेकिन उन्होंने जितनी मेहनत हिंदी पट्टी में खासकर अमेठी और रायबरेली की उतना वायनाड या दक्षिण सीटों पर नहीं अब आप पूछेंगे कि तब वायनाड प्रियंका गांधी के लिए सेफ सीट है या राहुल के हटने के बाद रिस्की? तो समझिए अमेठी में के एल शर्मा को उतारने जैसा ये सरप्राइजिंग स्टेप है अमेठी में कांग्रेस का पत्ता सटीक निशाने पर लगा ठीक उसी तरह वायनाड को कांग्रेस गांधी परिवार का तीसरा दुर्ग बनाना चाहेगी इसके पीछे की कहानी समझिए।

वायनाड के लिए प्रियंका को ही क्यों चुना?

रायबरेली के होकर राहुल गांधी मिशन यूपी पर आगे की सियासत पर फोकस तेज करेंगे,जबकि वायनाड सीट से गांधी परिवार की 10वीं सदस्य के तौर प्रियंका को उतारकर नॉर्थ और साउथ में संतुलन बनाने की कोशिश होगी। रायबरेली छोड़ते तो गांधी परिवार मुक्त यूपी का नरैटिव बनता। बीजेपी इसे तगड़े से भुनाती कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन पर असर पड़ता इसलिए वायनाड की तुलना में रायबरेली का फैक्टर भारी हुआगांधी परिवार की साख वाली सीट को बनाए रखने का दांव है। फिरोज गांधी से लेकर सोनिया गांधी तक प्रतिनिधित्व कर चुके थे, ऐसे में राहुल पर आंतरिक दवाब भी था उधर वायनाड सीट पर राहुल की पॉपुलैरिटी प्रियंका के लिए सेफ सीट बनाने की भूमिका अदा करेगी। यूपी में 1 से 6 पर पहुंची कांग्रेस..रायबरेली मॉडल को भुनाएगी। वायनाड उपचुनाव में अगर प्रियंका जीतीं तो गांधी परिवार का तीसरा गढ़ बनेगा।

कांग्रेस के फैसले से समाजवादी पार्टी क्यों खुश?

24 के नतीजे में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी गठबंधन का वोट शेयर 42% के पार गया और दोनों दलों की सीटें 43, अगर विधानसभा वाइज सीटें देखें तो इंडिया गठबंधन 200 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाने में कामयाब रही, तीन साल बाद यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं अगर लोकसभा चुनाव जैसी कैमिस्ट्री विधानसभा चुनाव में दिख गई तो बीजेपी के चैलेंजिंग होगा, लेकिन कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है 2024 में यूपी जैसे अहम राज्य में बीजेपी को 2019 के मुकाबले 29 सीटों का घाटा हुआ, इससे दिल्ली में पूर्ण बहुमत से बीजेपी फिसल गई इसलिए आगे की रणनीति के लिए बीजेपी चौकन्नी हो गई है अब दिल्ली लखनऊ की तमाम स्ट्रैटजी इंडिया गठबंधन को ध्यान में रखते हुए गढ़ी जाएंगी इसका अनुमान आप कांग्रेस के ताजा फैसले पर बीजेपी के बड़े नेताओं की प्रतिक्रिया से लगा सकते हैं । यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं “यूपी में कांग्रेस का कोई आधार नहीं है समाजवादी पार्टी अपने वोट से कांग्रेस को जिताने के लिए लगी अगर प्रियंका गांधी अकेले यूपी में लड़ लें तो कांग्रेस की जमानत जब्त हो जाएगी” बीजेपी स्वाभाविक प्रतिक्रिया देखकर सही मौके के इंतजार में है मगर कांग्रेस 2024 के नतीजों से बड़ी लकीर खींच देना चाहती है और पूरी रणनीति राहुल गांधी के ईर्द-गिर्द बुन रही हे

संसद में राहुल का रोल बढ़ेगा

10 साल बाद कांग्रेस पहली बार Lop देने की स्थिति में है लोकसभा में जरूरी 55 सीट यानी 10 प्रतिशत सीमा रेखा से कांग्रेस काफी आगे है और इंडिया गठबंधन के कुल 235 सांसद हैं मतलब प्रधानमंत्री मोदी के सामने पहली बार न सिर्फ मजबूत विपक्ष होगा बल्कि राहुल गांधी मान्य नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में दिख सकते हैं अभी तक राहुल गांधी लोकसभा में विपक्षी बेंच के सेकेंड रो में बैठते रहे हैं लेकिन इस बार उन्हें अधीर रंजन चौधरी वाले चेयर पर स्थान मिल सकता है फर्क बस इतना होगा कि संवैधानिक रूप से राहुल अधीर रंजन चौधरी से ज्यादा प्रभावशाली होंगे इसकी वजह है मान्य नेता प्रतिपक्ष

-क्या करता है नेता प्रतिपक्ष

नेता प्रतिपक्ष कैबिनेट मंत्री स्तर का पद होता है लोकलेखा समिति का अध्यक्ष होता है CAG जैसी संस्था अपनी रिपोर्ट लोकलेखा समिति के साथ साझा करती हैं जैसे यूपीए के दौरान पहले लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज इस भूमिका का निर्वहन किया करते थे ठीक उसी रोल में राहुल नजर आएंगे इसके साथ ही संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुखों की नियुक्ति में प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष की बराबर भूमिका रहती है लगभग तय है राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बन जाएं बस उनकी हां का इंतजार है

-राजीव सोनिया ने उठाई थी जिम्मेदारी

गांधी परिवार से राहुल तीसरे सदस्य होंगे अगर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनते हैं सबसे पहले राजीव गांधी 1989 से 1990 तक एक साल नेता प्रतिपक्ष रहे थे तब देश में वीपी सिंह की सरकार थी इसी तरह 1999 में सोनिया गांधी की संसदीय पारी की शुरुआत बतौर नेता प्रतिपक्ष की भूमिका के साथ हुआ था, सोनिया गांधी तो वाजपेयी सरकार के दौरान पूरे पांच साल नेता प्रतिपक्ष रहीं

विपक्ष का सबसे बड़ा चेहरा राहुल ही क्यों?

बीजेपी को ये बात सालों साल सालती रहेगी अयोध्या में हार गए और तीसरी बार वाराणसी जैसी सीट पर पीएम मोदी जीते तो जरूर मगर चार राउंड पीछे भी रहे, यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने इस बार कड़ी टक्कर दी और कांग्रेस भुनाने लगी कि पीएम मोदी बाल-बाल बचे हैं यानी कांग्रेस चुटकी ले रही है रायबरेली में धन्यवाद सभा में राहुल गांधी ने कहा था। “अगर प्रियंका गांधी वाराणसी से लड़ गई होती तो प्रधानमंत्री मोदी तीन लाख वोट से हार जाते” । खैर प्रियंका तब नहीं लड़ी मगर अब वायनाड उपचुनाव में पहली बार उतरेंगी और राहुल गांधी के इन तेवरों के पीछे है जीत का वो गणित जिसमें राहुल गांधी दोनों सीटों पर तीन लाख से ज्यादा के मार्जिन से जीते। रायबरेली में राहुल गांधी को कुल 6 लाख 87 हजार 649 वोट मिले..और 3 लाख 90 हज़ार 30 वोटों से बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह को पटखनी दी..जबकि वायनाड में राहुल गांधी को 6 लाख 47 हज़ार 445 वोट मिले और 3 लाख 64 हज़ार 442 वोटों से जीत दर्ज की थी… तब सीपीआई की कद्दावर नेता एनी राजा और केरल बीजेपी अध्यक्ष के सुरेंद्रन दूसरे और तीसरे नंबर पर थे । यानी त्रिकोणीय लड़ाई में भी वायनाड सीट कांग्रेस की उम्मीदों पर खरी उतरी इसलिए केरल जैसे मजबूत गढ़ में कांग्रेस कोई वैक्यूम नहीं देना चाहती वहां 2026 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं और सुरेश गोपी के रूप में बीजेपी का खाता भी खुल चुका है इसीलिए फ्यूचर प्लान के तहत गांधी परिवार ने अपने 10वें सदस्य यानी प्रियंका को केरल से उतारने का फैसला किया

(लेखक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल में असिस्टेंट एडिटर के रूप में कार्यरत हैं । )

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