सीतापुर हत्याकांड का सच सामने आ गया है। अजीत ने 90 मिनट के अंदर सभी 6 हत्याएं कीं। पुलिस के साथ बातचीत में उसने बताया कि आखिर उसने क्यों ऐसा कदम उठाया।
मेरे भाई अनुराग का पूरा परिवार मुझे लप्पू समझता था…सब कहते थे ये तो मास्टर है क्या कर पाएगा…बहुत दिनों से अपमानित महसूस कर रहा था। जब भाई अनुराग ने कर्जा चुकाने की बात से इंकार किया तो गुस्सा आ गया। इसी गुस्से में सबको मार दिया। यह बात पल्हापुर हत्याकांड के आरोपी अजीत सिंह ने पुलिस पूछताछ में कबूली।
बृहस्पतिवार को आईजी रेंज तरुण गाबा ने एसपी चक्रेश मिश्र के साथ प्रेस वार्ता कर इस हत्याकांड के खुलासे का दावा किया। अमर उजाला ने बीते 13 मई के अंक में अजीत के कुबूलनामे की बात प्रकाशित की थी। आईजी रेंज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अमर उजाला के इस खुलासे पर मुहर लगा दी। आईजी रेंज तरुण गाबा ने बताया कि अजीत ने मात्र 90 मिनट में ही छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद लोगों को गुमराह करने के लिए एक कहानी बनाई। यही कहानी सबको बताई। जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आई तो अजीत से सख्ती से पूछताछ शुरू हुई। तब जाकर उसने हत्या की बात कबूल कर ली। आरोपी अजीत सिंह के विरुद्ध रामपुर मथुरा थाने में हत्या व आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया है।
नब्बे मिनट खेला खूनी खेल, सिर्फ अनुराग और प्रियंका थे निशाने पर
अजीत सिंह ने पूछताछ में बताया कि जब भाई अनुराग ने पिता के केसीसी के लोन को चुकाने से मना कर दिया तो वह गुस्से से भर गया। उसने शुक्रवार शाम घर में बनी खिचड़ी में नींद की पांच गोलियां मिला दीं। वह सबके सोने का इंतजार करने लगा। वह सिर्फ अनुराग और प्रियंका की हत्या करना चाहता था। मां सावित्री और बच्चों को केवल नींद की गोली देकर सुलाना चाहता था। उसे पता चला कि परिवार के सभी लोग बाहर से खाना खाकर आए।
इसके बाद वह मकान की पहली मंजिल पर बने अपने कमरे में जाकर लेट गया। वह रात 2:00 बजे उठा। करीब रात ढाई बजे उसने खूनी खेल शुरू किया। नब्बे मिनट में छह हत्याएं कीं। सबसे पहले उसने पहली मंजिल पर बने प्रियंका सिंह व बच्चों के कमरे का बिजली का मेन पावर स्विच ऑफ कर दिया। गर्मी लगने पर प्रियंका सिंह कमरे से बाहर आ गईं। जहां अजीत ने उसे गोली मार दी। गुस्सा इस कदर था कि प्रियंका के चेहरे पर हथौडे से ताबड़तोड़ वार कर डाले।
बड़ी बेटी को समझाने की कोशिश
इसी बीच गोली की आवाज सुनकर मां सावित्री जाग गई। इस वजह से मां को मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद वह अनुराग सिंह के कमरे में गया और उसे गोली मार दी। अजीत ने बताया कि उसने बड़ी लड़की अर्ना सिंह को यह समझाने की कोशिश की थी कि उसके पिता अनुराग ने यह सभी हत्याएं कर खुदकुशी कर ली है। लेकिन अर्ना नहीं मानी और चिल्लाने लगी। उसके साथ आश्वी और आद्विक भी चिल्लाने लगे। अजीत ने अर्ना को गोली मारकर छत से नीचे फेंक दिया। आर्ना के बाद आश्वी और आद्विक को भी बारी-बारी ले जाकर छत से नीचे फेंक दिया। इसके बाद नीचे आकर बच्चों को चेक किया। सांसें चलती देखीं तो दोबारा हत्या का प्रयास किया।
पिता के अवैध असलहे से बरसाई गोलियां
अजीत के पिता वीरेंद्र सिंह 1996 के भरत सिंह मर्डर केस में नामजद थे। उस समय उनकी रायफल जमा हो गई थी। इसके बाद उन्हाेंने एक देशी तमंचा अपने पास रखना शुरू कर दिया था। पिछले वर्ष पिता की मौत के बाद से ही तमंचा अजीत के पास था। इसी असलहे से उसने अनुराग, प्रियंका और अर्ना पर गोलियां बरसाईं।
गुस्से में अनुराग पर चलाया था हथौड़ा
पुलिस तफ्तीश में सामने आया कि अनुराग सिंह, प्रियंका सिंह और अर्ना सिंह पर गोली चलाई थी। वहीं, सभी छह मृतकों के चेहरे व अन्य शरीर के भागों में गंभीर चोटों के निशान पाये गये। शवों पर इसके अतिरिक्त भी कतिपय चोट के निशान पाये गये। अनुराग सिंह के सिर में 2 गोलियां मारी गईं। वहीं, अजीत ने अनुराग पर गुस्से में हथौड़े से भी वार किया था।
पांच दिन में 12 लोगों से हुई पूछताछ
पुलिस टीमों ने अजीत सिंह, उसकी पत्नी विभा सिंह, ताऊ आरपी सिंह, ताई अमरावती, प्रभाकर प्रताप सिंह, मेडिकल स्टोर संचालक, अजीत के ससुर अजय सिंह, बहनोई अकलेंद्र सिंह संग कुल 12 लोगों से पूछताछ हुई।
खुलासे के लिए लगी थी एसओजी और आईजी की क्राइम टीम
पोस्टमार्टम रिपोर्ट सामने आने के बाद आईजी रेंज की क्राइम टीम, एसओजी, स्थानीय पुलिस और फोरेंसिक की टीमें खुलासे के लिए लग गईं। इसके साथ एसटीएफ की एक टीम भी एएसपी अमित नागर के नेतृत्व में खुलासे के लिए लग गई। इस दौरान दो बार क्राइम सीन को दोहराया भी गया।