राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में मौके का दौरा करने पर पाया कि वहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है। मौके का दौरा कर दी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ितों पर अत्याचार के कई मामले सामने आए हैं जिससे साफ पता चलता है कि इसकी रोकथाम में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के चलते मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।
अत्याचार के कारण पीड़ित हुए खामोश
आरोपितों द्वारा किये गए कथित अत्याचार के कारण ऐसा माहौल बन गया है कि पीड़ित खामोश हो गए हैं और डराने धमकाने व आतंक के चलते पीड़ितों में न्याय पाने के प्रति अनिच्छा पैदा हो गई है। पीड़ित गांव वालों को हमला, धमकी, यौन शोषण, भूमि कब्जा का सामना करना पड़ा और जबरन अवैतनिक श्रम करना पड़ा। इन परिस्थितियों में उन्हें संदेशखाली क्षेत्र और राज्य के बाहर आजीविका की तलाश के लिए मजबूर होना पड़ा।
रिपोर्ट में की गई कई सिफारिशें
आयोग ने पीड़ितों के मन में भरोसा जगाने और उनके पुनर्वास व कल्याण के लिए रिपोर्ट में कई सिफारिशें की हैं। एनएचआरसी ने रिपोर्ट में की गई सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल सरकार से आठ सप्ताह में कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। इसके अलावा एनएचआरसी ने कहा है कि संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण और भूमि पर कब्जे के मामले पर हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है ऐसे में आयोग सुनवाई में हस्तक्षेप के अनुरोध के साथ हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करेगा।
महिलाओं के यौन शोषण के मामले आए सामने
संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण और जमीन पर कब्जे के मामले सामने आये थे और दोषियों पर कार्रवाई को लेकर वहां की महिलाओं ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था और वहां हिंसा हुई थी। संदेशखाली में महिलाओं के यौन शोषण और जमीन पर अवैध कब्जे के मामलों में राज्य की तृणमूल सरकार के नेता शेख शाहजहां आरोपी है।
शाहजहां काफी दिन तक गायब रहा था और बाद में उसे पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इस मामले में महिलाओं के शोषण और भूमि कब्जा करने के बारे में मीडिया में आयी खबरों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 21 फरवरी को स्वत: संज्ञान लिया था और पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी व डीजीपी को नोटिस जारी कर हिंसा के बारे में रिपोर्ट मांगी थी।
आयोग ने संदेशखाली भेजी थी टीम
आयोग ने मौके पर जाकर हकीकत पता लगाने के लिए अपनी एक टीम भी संदेशखाली भेजी थी। आयोग की टीम ने मौके से लौट कर अपनी रिपोर्ट दी है जिसमें कहा है कि आरोपितों के गिरोह से मिलीभगत के कारण लोगों को राज्य और केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन न मिलना, वृद्धावस्था पेंशन का लाभ या मनरेगा का लाभ न देना या उसमें भेदभाव किये जाने के लगाए गए आरोप गंभीर और चिंताजनक हैं इससे लोकतांत्रिक मूल्य कमजोर होते हैं। आयोग ने पीड़ितों के पुनर्वास और व्यवस्था में उनका भरोसा कायम करने के लिए रिपोर्ट में कई सिफारिशें की हैं।
आयोग की सिफारिशें
1- कानून के शासन और अधिकारियों में लोगों का विश्वास बहाल करना
2- थाना संदेशखाली क्षेत्र से लापता महिलाओं और लड़कियों के मामले की जांच
3- गवाहों की सुरक्षा और शिकायतों का निवारण सुनिश्चित करना
4- यौन शोषण पीड़ितों को परामर्श और पुनर्वास
5- भूमि के वैध मालिकों को भूमि वापसी
6- केंद्रीय एजेंसियों द्वारा शिकायतों की निष्पक्ष जांच
7- जागरूकता कार्यक्रम शुरू करना
8- राष्ट्रव्यापी आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली (एनईआरएस) का संचालन
9- व्यवसायिक प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर पैदा करना
10- भूमि को पूर्व रूप में लाकर कृषि योग्य बनाना
11- सामाजिक आर्थिक संकेतकों में सुधार करना और क्षेत्र विशिष्ट योजनाएं तैयार करना
12- संदेशखाली की स्थिति पर समय समय पर रिपोर्ट देने के लिए प्रतिवेदक नियुक्त करना