31 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में भारी बारिश का अलर्ट

गुजरात में पिछले दिनों हुई भारी बारिश से कई शहरों में बाढ़ आ गई है। बिजली कनेक्शन टूटने से लोग कई दिनों से अंधेरे में हैं। राज्य में अब तक 28 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य में 7 राष्ट्रीय राजमार्ग, 66 राज्य राजमार्ग, 92 अन्य सड़कें और 774 पंचायत सड़कें मिलाकर 939 सड़कें बंद हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के सीएम भूपेंंद्र पटेल को फोन कर लगातार दूसरे दिन हालात की जानकारी ली। इस बीच मौसम विभाग ने अगले छह दिनों के दौरान 31 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। साथ ही शुक्रवार को ओडिशा और तेलंगाना में भारी से अति भारी (20 सेमी से ज्यादा) और छत्तीसगढ़, केरल, तटीय आंध्र प्रदेश, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में भारी बारिश (12 सेमी से ज्यादा) की चेतावनी दी है।

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों के साथ की समीक्षा
गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल कच्छ जिले में भारी बारिश और संभावित तूफान के पूर्वानुमान के बाद वडोदरा से गांधीनगर स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर पहुंचे। उन्होंने जिला कलेक्टर के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस प्राकृतिक आपदा के खिलाफ व्यवस्था की तैयारियों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने इस आपदा से लोगों को बचाने के लिए जहां भी जरूरी हो, तत्काल प्रभाव से लोगों को निकालने के निर्देश दिए हैं। इस बैठक में मुख्य सचिव राजकुमार और वरिष्ठ सचिव भी शामिल हुए।

अगले छह दिनों में इन राज्यों में होगी भारी बारिश
मौसम विभाग के अनुसार, सौराष्ट्र और कच्छ के ऊपर बना गहरे दबाव का क्षेत्र 30 अगस्त को पूर्वी अरब सागर के ऊपर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है। इसकी वजह से 31 राज्यों-केंद्रशासित प्रदेशों में 30 से 4 सितंबर के दौरान भारी बारिश होने का अनुमान है। ये राज्य ओडिशा, तटीय कर्नाटक, केरल, उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पूर्वी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, गोवा, पूर्वी-पश्चिमी मध्य प्रदेश, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, अंडमान एवं निकोबार द्वीप, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, झारखंड, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड और राजस्थान हैं।

गुजरात में हाल बेहाल
गुजरात में बृहस्पतिवार को बारिश कम हुई। इससे स्थिति में थोड़ा सुधार दिखा। हालांकि वडोदरा और राज्य के कुछ अन्य इलाकों में नदियां अभी भी उफान पर हैं। राज्य में 238 तहसीलें भारी बारिश के चलते बाढ़ की चपेट में हैं। भारी बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित वडोदरा में स्थिति में पहले से सुधार हुआ। विश्वामित्री नदी का जलस्तर सुबह 37 फुट से घटकर 32 फुट रह गया है। हालांकि, शहर के कई निचले इलाके अभी भी जलमग्न हैं। अधिकारियों ने बताया कि स्थानीय प्रशासन के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ), सेना, वायुसेना और भारतीय तटरक्षक बल के साथ मिलकर राज्य के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित इलाके वडोदरा, द्वारका, जामनगर, राजकोट और कच्छ में राहत और बचाव कार्य संचालित कर रहे हैं।

क्रिकेटर राधा यादव और उनके परिवार को बचाया गया
महिला क्रिकेटर राधा यादव और उनका परिवार वडोदरा में बाढ़ में फंस गया था। एनडीआरएफ ने बुधवार को इन सभी को सुरक्षित बचाया। राधा ने इसके लिए एनडीआरएफ का धन्यवाद जताया। वहीं वायुसेना ने बृहस्पतिवार को देवभूमि द्वारका में बाढ़ में फंसे चार लोगों को हेलिकॉप्टर के जरिये सुरिक्षत निकाला। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (एसईओसी) ने बताया गया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से 18,000 से अधिक लोगों को स्थानांतरित किया गया है और करीब 1,200 लोगों को बचाया गया है।

पीएम मोदी ने राहत और बचाव कार्यों की ली जानकारी
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरे दिन मुझे फोन किया और स्थिति की जानकारी ली। पीएम ने विश्वामित्री नदी में आई बाढ़ पर चिंता जताई और वडोदरा के लोगों के लिए राहत तथा बचाव के उपायों के बारे में भी जाना। पीएम ने राज्य को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि बाढ़ के बाद बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए सफाई के उचित उपाय किए जाएं।

राजस्थान के माउंट आबू और श्रीगंगानगर में भारी बारिश
राजस्थान में माउंट आबू तथा श्रीगंगानगर में भारी बारिश हुई। सबसे अधिक बारिश श्रीगंगानगर के जैतसर में 80 मिलीमीटर और माउंट आबू में 49 मिलीमीटर बारिश हुई। इसके अलावा अलवर, भरतपुर, बाड़मेर और उदयपुर जिले में कई जगह मध्यम बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार, 30 अगस्त से एक सितंबर तक राज्य के कुछ स्थानों पर हल्की बारिश होने की संभावना है। वहीं, दो सितंबर से कोटा, उदयपुर, भरतपुर संभाग में कहीं-कहीं भारी बारिश होने की प्रबल संभावना है।

त्रिपुरा सरकार ने पूरे राज्य को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र किया घोषित
त्रिपुरा में भारी बाढ़ के कारण हुई जनहानि और संपत्ति के भारी नुकसान के बाद राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है। राहत, पुनर्वास एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव बिरजेश पांडे ने कहा कि अब तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है, दो लोग घायल हैं और एक लापता है। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, बाढ़ के कारण 15 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राजस्व विभाग के अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार के आग्रह पर केंद्र ने बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए पांच सदस्यीय टीम भेजी है। उन्होंने बताया कि बाढ़ के कारण घर ढहने या बह जाने से इस समय 53,356 लोग 369 राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।

सितंबर के अंत तक जारी रह सकती है बारिश, कई फसलों को होगा नुकसान
इस वर्ष देश में मानसून की बारिश सितंबर के अंत तक जारी रह सकती है। ऐसे में मानसून की देरी से वापसी के कारण सामान्य से अधिक बारिश होने से चावल, कपास, सोयाबीन, मक्का और दालों को नुकसान हो सकता है क्योंकि इन फसलों की कटाई आमतौर पर सितंबर के मध्य से होती है। फसलों के नुकसान होने खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। हालांकि बारिश से मिट्टी में नमी बढ़ेगी। इससे सर्दियों में बोई जाने वाली फसलों जैसे गेहूं, रेपसीड और चना की खेती को लाभ होगा।

मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सितंबर के तीसरे हफ्ते में कम दबाव का क्षेत्र विकसित होने की संभावना बढ़ गई है। इससे मानसून की वापसी में देरी हो सकती है। दुनिया में गेहूं, चीनी और चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भारत ने इन कृषि वस्तुओं के निर्यात पर विभिन्न प्रतिबंध लगा रखे हैं और अत्यधिक वर्षा के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के कारण इन प्रतिबंधों को बढ़ाया जा सकता है। मानसून आमतौर पर जून में शुरू होता है और 17 सितंबर तक देश के उत्तर-पश्चिमी भागों से वापस लौटना शुरू कर देता है, तथा अक्तूबर के मध्य तक पूरे देश में समाप्त हो जाता है। लगभग 3.5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा, वार्षिक मानसून भारत को खेतों को पानी देने और जलाशयों और जलभृतों को भरने के लिए आवश्यक लगभग 70% वर्षा लाता है। सिंचाई के बिना, देश की लगभग आधी कृषि भूमि जून से सितंबर तक होने वाली वर्षा पर निर्भर है।

हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि पूर्व में हुई अधिक बारिश से भारत में फसलों को नुकसान हुआ है। देश में करीब 40 फीसदी आबादी खेती और उससे जुड़े संसाधनों पर निर्भर है। 2015 से 2021 के बीच 33.9 मिलियन हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ। जबकि सूखे के कारण 35 मिलियन हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई। देश में 2021 में 159 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था।

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