नीट परीक्षा परिणाम को चुनौती देते हुए याचिका दायर

जबलपुर निवासी अमीषी वर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा है कि वह नीट यूजी परीक्षा 2024 में शामिल हुई थी। उसे 720 अंक में से 615 अंक प्राप्त हुए थे।

नीट यूजी परीक्षा परिणाम को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है, एक कोचिंग सेंटर में आठ छात्रों के नाम व रोल नंबर एक सामान हैं। छात्रों को परीक्षा में शत-प्रतिशत अंक मिले हैं। याचिका में नीट परीक्षा में भाई-भतीजावाद तथा भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है।

जबलपुर निवासी अमीषी वर्मा की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा है कि वह नीट यूजी परीक्षा 2024 में शामिल हुई थी। उसे 720 अंक में से 615 अंक प्राप्त हुए थे। उसे व्यक्तिगत तथा विशेषज्ञों की गणना अनुसार, अधिक अंक मिलने की उम्मीद थी। याचिका में कहा गया था कि परीक्षा परिणाम में 67 छात्रों को शत-प्रतिशत अंक मिले हैं। एक ही कोचिंग संस्थान में छह छात्रों को शत-प्रतिशत अंक तथा दो को 718 व 719 अंक प्राप्त हुए हैं। सभी के नाम व रोल नंबर में सामान्य हैं। याचिका में कहा गया था कि गलत उत्तर देने पर चार अंक काटे जाते हैं। दो छात्रों को 718 व 719 अंक कैसे मिल सकते हैं। उनका एक उत्तर गलत था तो चार नंबर काटकर 716 अंक मिलने चाहिए थे। सभी उत्तर सही थे तो 720 अंक मिलने चाहिए थे।

याचिका में कहा गया था कि एम्स का कट ऑफ मार्क्स 717 है। एक संस्थान के छात्रों को उपकृत करने के लिए परीक्षा में भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार किया गया है। याचिका में राहत चाही गयी थी कि उच्च न्यायालय की निगरानी में उच्च स्तरीय कमेटी जांच करे तथा चयनित छात्रों को अस्थाई तौर पर दाखिला दिया जाए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने याचिका दायर की है।

तालाब तोड़ने पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
जबलपुर हाईकोर्ट की ग्रीष्मकालीन जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने यूनिसेफ द्वारा निर्मित तालाब को तोड़ने के निर्णय पर रोक लगा दी है। एकलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सीहोर जिले के ग्राम खड़ी निवासी 16 किसानों की तरफ से उक्त याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि उनके गांव में यूनिसेफ द्वारा साल 2002-03 में तालाब का निर्माण किया गया था। तालाब निर्माण का उद्देश्य था कि किसानों को लोगों को पानी मिल सके। खेती करने के लिए वह तालाब के पानी का उपयोग करते हैं।

याचिका में कहा गया था कि तालाब का निर्माण किसानों की जमीन में किया गया था, जिसका उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया था। मुआवजा की मांग करते हुए संबंधित किसानों ने न्यायालय की शरण ली थी। न्यायालय द्वारा नोटिस जारी होने पर जिला कलेक्टर ने तालाब तोड़ने का निर्णय लिया है। याचिका की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में तालाब तोड़ने पर रोक लगाते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी किए हैं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता नरिन्दरपाल सिंह रूपराह ने पैरवी की।

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