राजनीति के धुरंधरों को भी राजधानी ने लिया कसौटी पर

लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ गई है। कई दिग्गज एक बार फिर सियासी संग्राम में उतरे हैं। कौन सांसद बनते हैं और कौन मंत्री, यह परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन अभी तक हुए लोकसभा चुनावों में दिल्ली की जनता कई राष्ट्रीय नेताओं को कसौटी पर परख चुकी है। डॉ. मनमोहन सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी दिल्ली से चुनाव लड़ चुके हैं।

दिल्ली की जनता एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीय छवि वाले नेताओं को कसौटी पर ले चुकी है। इसमें दोनों मुख्य राजनीतिक पार्टियों के नेता शामिल हैं। इनमें अटल बिहारी वाजपेयी, मदन लाल खुराना, सिकंदर बख्त, सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित, मोहिणी गिरी, सुचेता कृपलानी समेत कई नेता शामिल हैं। 12वीं लोकसभा चुनाव की बात करें तो दक्षिणी दिल्ली की जनता ने डॉ. मनमोहन सिंह को नकार दिया था। 

इस सीट से विजय कुमार मल्होत्रा ने जीत हासिल की थी। मल्होत्रा के पक्ष में 52.25 फीसदी व मनमोहन सिंह के पक्ष में 46.25 फीसदी मत पड़े थे। इसके अलावा 9वीं लोकसभा चुनाव की बात करें तो लालकृष्ण आडवाणी ने कांग्रेस की प्रत्याशी मोहिणी गिरी को शिकस्त दी थी। आडवाणी को 55.54 फीसदी व मोहिणी गिरी को 41.85 फीसदी मिले थे। खास बात यह भी है कि 10वीं लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी फिल्म अभिनेता राजेश खन्ना को मुश्किल से पराजित कर सके थे।

आडवाणी को 43.4 फीसदी तो राजेश खन्ना को 42.66 प्रतिशत मत मिले थे। इस चुनाव के बाद आडवाणी व मनमोहन जैसे दोनों दिग्गज नेता संसद तो पहुंचे, लेकिन दिल्ली की जगह दूसरे क्षेत्र को चुना। मनमोहन सिंह असम राज्यसभा से सांसद चुने गए थे, जबकि लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर से लड़ने लगे। अटल बिहारी बाजपेयी 1977 व 1980 में नई दिल्ली से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे और बाद में एनडीए का नेतृत्व किया और देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी भी हासिल की। 

कई हस्तियों को भी दिया मौका 
दिल्ली ने न केवल नेताओं को मौका दिया है, बल्कि विभिन्न क्षेत्र की हस्तियों को भी आत्मसात किया है। पिछले चुनाव में भी स्टार क्रिकेटर गौतम गंभीर और सूफी गायक हंस राज हंस को जिताकर संसद पहुंचाया। इसी तरह उत्तर पूर्वी लोकसभा क्षेत्र के लोगों ने लगातार दो बार भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को जिताकर संसद पहुंचाया। अब तिवारी तीसरी बार भी चुनावी मैदान में उतरे हैं। इसी तरह कांग्रेस की टिकट पर बॉक्सर विजेंदर सिंह भी दक्षिणी दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव लड़ चुके है। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

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