आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को लिखा पत्र, सामने रखीं तीन प्रमुख मांगें

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की द्वितीय वर्ष की पीजी छात्र नृशंस हत्या मामले में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने पश्चिम बंगाल सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को दंडित करने की मांग की है।

आईएमए ने केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अपराध को संभव बनाने वाली स्थितियों की विस्तृत जांच करने और कार्यस्थल पर डॉक्टरों विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए कदम उठाने की मांग की। आईएमए ने इन मांगों पर दो दिन का अल्टीमेटम दिया था।

सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग
आईएमए ने पत्र लिखा, “हम आपके समक्ष सुरक्षित क्षेत्र, सुरक्षा उपाय और हिंसा पर रोकथाम के उपाय के रूप में केंद्रीय कानून की मांग करते हैं। हमें उम्मीद है कि आप बिगड़ती जमीनी स्थिति के मद्देनजर हमारी मांगों पर अनुकूल रूप से विचार करेंगे।”

आज भी जारी रहेगी हड़ताल
रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अविरल माथुर ने भी केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि हड़ताल की यथास्थिति आज भी जारी रहेगी। बता दें कि नौ अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर की यौन शोषण के बाद हत्या कर दी गई थी

नड्डा से मिले डॉक्टर
केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अविरल माथुर ने कहा कि मंत्रालय ने आज हमें कुछ बिंदुओं पर चर्चा करने के लिए बुलाया था। हम वहां दो घंटे से अधिक समय तक रहे। हमने केंद्रीय मंत्री की कोर टीम के साथ कई सत्रों में अपनी मांगों पर चर्चा की।

परिवार को उचित मुआवजा मिले
अविरल माथुर ने कहा कि हमारी मांग है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज की जांच केंद्रीय एजेंसी से कराई जाए और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा मिले। ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा संरक्षण अधिनियम में एक व्यवस्थित समय सीमा बनाई जानी चाहिए।

हमें सिर्फ वादे नहीं चाहिए। वे कुछ मांगों से सहमत दिखे और कुछ के प्रति झिझक रहे थे। कोई नतीजा नहीं निकला। सभी अस्पतालों के सदस्य यहां मौजूद हैं। अब हम आम सभा करेंगे। हड़ताल की यथास्थिति जारी रहेगी। हम कल भी अपनी वैकल्पिक सेवाएं बंद रखेंगे।

एसोसिएशन की यह प्रमुख मांगें

  • मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सजा मिले।
  • अपराध को संभव बनाने वाली परिस्थितियों की विस्तृत जांच हो।
  • कार्यस्थल पर डॉक्टरों, खासकर महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

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