कानुपर में आठ निर्दोष व्यक्तियों के खिलाफ जबरन घर में घुसने, जबरन वसूली और दंगा करने जैसे गंभीर आरोपों में फर्जी प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें जेल भेजने के आरोप में 4 उप निरीक्षकों समेत 8 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पुलिस के मुताबिक निलंबित किए गए पुलिसकर्मियों में उप निरीक्षक जयवीर सिंह, संकित तौगड़, आशीष चौधरी और शिवशरण शर्मा, हेड कांस्टेबल प्रथम सिंह और कांस्टेबल जितेंद्र, कुबेर और पंकज सिंह शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि ये सभी घाटमपुर कोतवाली से तैनात हैं।
जमीन विवाद में फर्जी प्राथमिकी दर्ज करने पर 8 पुलिसकर्मी निलंबित
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) रवींद्र कुमार ने एक न्यूज एजेंसी को बताया कि जेल में बंद आरोपी ओम प्रकाश यादव की पत्नी रमादेवी ने एक लिखित शिकायत दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि घाटमपुर पुलिस ने एक पखवाड़ा पहले जमीन विवाद के मामले में एक फर्जी प्राथमिकी दर्ज की थी और उनके पति समेत परिवार के 8 सदस्यों को जेल भेज दिया था। रमादेवी ने बुधवार को दी शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने राम लखन तिवारी से रिश्वत ली और उनके पति तथा 7 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। कुमार ने बताया कि मामले में अपर पुलिस उपायुक्त अंकिता शर्मा ने जांच शुरू की और पुलिसकर्मियों पर लगाए गए आरोप सही पाये गए जिसके बाद 8 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।
घाटमपुर पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से की कार्रवाई: पुलिस उपायुक्त
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि यह भी पाया गया कि घाटमपुर पुलिस ने दुर्भावनापूर्ण इरादे से कार्रवाई की। अपर पुलिस उपायुक्त अंकिता शर्मा ने बताया कि जांच में पता चला कि स्थानीय पुलिस ने भूमि संबंधी विवाद में निवारक कार्रवाई नहीं की और 8 लोगों पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर दिया। उन्होंने बताया कि दोषी पुलिसकर्मियों ने अपने वरिष्ठों को भी प्राथमिकी के बारे में सूचित नहीं किया, जिससे भी संदेह पैदा हुआ। उन्होंने बताया कि निलंबित पुलिसकर्मियों और अन्य के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है जिनकी भूमिका जांच के दायरे में आई है।