शुरुआती बारिश में ही लगभग एक दर्जन स्थानों पर धंसने की वजह से चर्चा में आये राम पथ के निर्माण में घोर लापरवाही की जांच के लिए अयोध्या प्रशासन ने एक समिति गठित की है। अयोध्या के मंडलायुक्त गौरव दयाल ने बताया कि ‘‘सभी संबंधित विभागों की एक समिति गठित की गई है, जो जांच करेगी और 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। यह समिति उन सीवेज चैंबर/मैनहोल के निर्माण से संबंधित गड़बड़ियों की जांच करेगी जिनमें गड्ढे हो गये हैं।”
‘ज्यादा बारिश के कारण हुई ये समस्या’
अयोध्या के मंडलायुक्त ने कहा कि राम पथ करीब 14 किलोमीटर लंबा है और इसका निर्माण मानकों के अनुसार गुणवत्ता के साथ किया गया है। इस पथ में एक क्षेत्र ऐसा है, जहां सीवर लाइन बिछाई गई थी। ऐसे ही छह-सात स्थानों पर गड्ढे हो गये हैं। पिछले दो वर्षों में पूरी अयोध्या में करीब 5,500 सीवर चैंबर बनाए गए हैं, जिनमें से केवल आठ या नौ स्थानों पर ही ऐसी समस्या आई है, वह भी अत्यधिक बारिश के कारण ऐसा हुआ है। जिले में पूरे बरसात के मौसम की लगभग 30 प्रतिशत बारिश सिर्फ दो दिन में हो गई जिसकी वजह से यह समस्या हुई है। राज्य सरकार ने इस मामले के संबंध में अहमदाबाद स्थित ठेकेदार ‘भुवन इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड’ को नोटिस भी जारी किया है।
सरकार ने 6 अधिकारियों को किया निलंबित
सरकार ने अयोध्या में नवनिर्मित राम पथ के कई हिस्सों में सड़क धंसने और जलभराव के बाद घोर लापरवाही के लिए छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इस बीच, फैजाबाद से नवनिर्वाचित सांसद अवधेश प्रसाद ने शनिवार को अयोध्या में 14 किलोमीटर लंबे राम पथ और सड़क के नीचे सीवर लाइन के निर्माण में कथित अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा था, ‘‘यह एक बड़ा मुद्दा है, राम के नाम पर लूट हो रही है। कितने लोग जिम्मेदार हैं, कौन जिम्मेदार है, सब कुछ स्पष्ट होना चाहिए। कुछ लोगों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। राम पथ निर्माण में अनियमितताओं में और भी लोग शामिल हैं।” बता दें कि पिछली 23 और 25 जून को हुई बारिश के बाद राम पथ के किनारे लगभग 15 गलियों में पानी भर गया था। यहां तक कि सड़क के किनारे स्थित घरों में भी पानी घुस गया था। राम पथ के कई हिस्से भी धंस गए थे।