Canada में खालिस्‍तान समर्थकों की करतूत, इंदिरा गांधी की ‘हत्‍या की झांकी’ निकाली

भारतीय मूल के कनाडाई सांसद चंद्र आर्य ने शनिवार को कनाडा में खालिस्तान समर्थकों द्वारा इंदिरा गांधी की हत्या के पोस्टर लगाने पर चिंता व्यक्त की। आर्य ने दावा किया कि खालिस्तान समर्थक एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के पुतले लगाकर हिंदू-कनाडाई लोगों में हिंसा का डर पैदा करने की कोश‍िश कर रहे हैं।

आर्य ने दावा किया कि खालिस्तान समर्थक एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के पुतले लगाकर हिंदू-कनाडाई लोगों में हिंसा का डर पैदा करने की कोश‍िश कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान समर्थकों ने  पूर्व प्रधानमंत्री के पु‍तले पर गोलियों के निशान दिखाए गए और सामने उनके हत्यारे सिख अंगरक्षकों के हाथ में बंदूकें थीं।

कनाडाई सांसद आर्य ने किया पोस्‍ट
कनाडाई सांसद आर्य ने आगे बताया कि कुछ साल पहले भी इसी तरह की धमकियां फैलाई गई थीं। आर्य ने एक्स पर साझा की एक पोस्ट में कहा,

वैंकूवर में खालिस्तान समर्थक हिंदू भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शरीर पर गोलियों के निशान और उनके हत्यारे अंगरक्षकों द्वारा बंदूक थामे पोस्टर लेकर हिंदू-कनाडाई लोगों में हिंसा का डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

धमकियों का यह सिलसिला जारी है, जिसमें कुछ साल पहले ब्रैम्पटन में इसी तरह की तस्वीरें दिखाई गई थीं और कुछ महीने पहले सिख फॉर जस्टिस के पन्नू ने हिंदुओं से भारत वापस जाने के लिए कहा था। मैं फिर से कनाडा में कानून प्रवर्तन एजेंसियों से तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान करता हूं।
सांसद आर्य बोले- ऐसी घटना सच में हो सकती है
कनाडाई संसद सदस्य ने कहा कि अगर इसे चुनौती नहीं दी गई तो यह वास्तविक रूप ले सकता है। बंदूकों की तस्वीरों का इस्तेमाल संदेश देने के लिए आसानी से किया जा रहा है, अगर इसे चुनौती नहीं दी गई तो यह कुछ वास्तविक रूप ले सकता है।

आर्य ने जोर देकर कहा कि इंदिरा गांधी के माथे पर बिंदी को प्रमुखता से लगाने का उद्देश्य दोगुना रूप से यह सुनिश्चित करने के लिए था कि उनका टारगेट हिंदू-कनाडाई ही हैं।

पिछले साल भी निकाली थी परेड

पिछले साल जून में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मनाते हुए कनाडा में एक झांकी परेड का आयोजन किया गया था, जिसकी भारत ने कड़ी आलोचना की थी।

इस साल मार्च में खालिस्तान समर्थकों ने कनाडा में भारतीय दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे और कथित तौर पर मौके पर मौजूद भारतीय मूल के पत्रकारों पर हमला किया था।

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