गोरखपुर: 574 गांवों की निकली खतौनी, पढ़ें पूरी ख़बर

गोरखपुर में रियल टाइम खतौनी अपलोड करने में हुई गलतियों के संशोधन का अवसर आ गया है। तहसील कार्यालय से 574 राजस्व गांवाें की खतौनियों का प्रिंट लेखपालों को दे दिया गया है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे गांवों में जाएं और पूछताछ करके सही रिपोर्ट लगा दें।

लेखपालों की जांच में कोई गलती पकड़ी गई तो उनकी रिपोर्ट से संशोधन हो जाएगा। यदि गलती छूट गई तो एसडीएम न्यायालय में वाद दाखिल करना और कई साल तक भूस्वामी को मुकदमे का दर्द झेलना पड़ सकता है। यूपी भूलेख पोर्टल का सर्वर स्लो होने के कारण रियल टाइम खतौनी बनाने में कई बार अंतिम तिथि बढ़ाई गई।

जब सर्वर चला तो ऑपरेटरों ने जल्दी से कार्य करने की कोशिश की और इसमें खाताधारकों के नाम और अंश दर्ज करने में गलतियां दर्ज हो गई हैं, जबकि 40 प्रतिशत से खतौनियों में ही अंश निर्धारण हो पाया है।

अब लेखपालों की रिपोर्ट के अनुसार गलतियों में सुधार होना है। इसके साथ ही वे भूमि की रजिस्ट्री के दस्तावेजों को देखकर अंश निर्धारण करेंगे। इसमें भी सभी एक खाते के सभी भू स्वामियों के दस्तावेज मिलने पर ही सही रिपोर्ट लगाई जा सकती है।

शहरी क्षेत्र में ज्यादातर ऐसे भू स्वामी हैं, जिनका पता ठिकाना भी नहीं है। तहसील परिसर के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कहा कि रियल टाइम खतौनी अच्छी व्यवस्था है। खतौनियों का प्रिंट लेखपालों को दिया गया है। लोगों को चाहिए कि यदि उनके क्षेत्र के लेखपाल गांवों में न गए हों तो खुद ही उनसे संपर्क करके अपनी खतौनी देख लें।

तहसील सदर में 650 राजस्व गांवों की खतौनियों को रियल टाइम बनाने का काम चल रहा है, जिसमें 86 गांवों की खतौनियों को पोर्टल पर दर्ज करने का काम अधूरा है। अब अंश निर्धारण पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन कई खतौनियों में ऐसे पेंच उलझे हैं कि उन्हें समझने में लेखपालों को पसीना आ रहा है।

लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश कुमार पंकज ने बताया कि शहरी क्षेत्र में कई ऐसे प्लाट हैं, जिनके मालिकों को ढूंढ पाना मुश्किल काम है। उनके पड़ोसी भी नहीं बता पा रहे हैं कि वे कहां रहते हैं, जबकि रजिस्ट्री के दस्तावेज मिलने पर ही सही रिपोर्ट लगाई जा सकती है।

तहसीलदार विकास सिंह ने बताया कि यूपी भूलेख का सर्वर अब सही चल रहा है, और रियल टाइम खतौनी बनाने का काम तेजी से किया जा रहा है। 574 राजस्व गांवों की खतौनियों का प्रिंट संबंधित लेखपालों को दिया गया है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि गांवों में जाकर खतौनियों की त्रुटियों को सही करने के साथ अंश निर्धारण करें।

Related Articles

Back to top button