एमसीडी के मेयर चुनाव की प्रक्रिया में अब एक निर्णायक मोड़ आ गया है। उपराज्यपाल ने हाल ही में चुनाव की प्रक्रिया को लेकर सक्रिय कदम उठाए हैं, जिससे चुनाव की संभावना तेज हो गई है। पिछले कुछ महीनों से मेयर चुनाव की प्रक्रिया में अड़चनें आ रही थीं। इसका मुख्य कारण मुख्यमंत्री का जेल में बंद होना है। इस कारण मेयर चुनाव की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो गई थी।
एमसीडी के मेयर का चुनाव प्रतिवर्ष अप्रैल माह में होता है। इसके तहत एमसीडी ने गत अप्रैल माह में मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के संबंध में दिल्ली सरकार के पास फाइल भेजी थी। लेकिन, मुख्यमंत्री के जेल में होने के कारण संबंधित मंत्री ने यह फाइल सीधे उपराज्यपाल को भेज दी।
उपराज्यपाल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि फाइल को निर्धारित प्रक्रिया के तहत भेजा जाना चाहिए था। उन्होंने पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करने से मना कर दिया और वर्तमान मेयर को कामकाज करने का निर्देश दिया। इसके परिणामस्वरूप, एमसीडी की ओर से मेयर चुनाव की कोई नई पहल नहीं की गई और चुनाव की प्रक्रिया लंबित हो गई।
इसके चलते दलित वर्ग के पार्षदों के मेयर बनने का मामला लटक गया। दरअसल, एमसीडी ने तीसरे वर्ष के मेयर पद को दलित वर्ग के पार्षद के लिए आरक्षित किया है। आप और भाजपा के दलित पार्षदों ने इस पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल कर रखे हैं। उधर, कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाया और उनके नेताओं ने उपराज्यपाल से मुलाकात की। भाजपा ने भी मेयर चुनाव कराने के लिए उपराज्यपाल को पत्र लिखा।
इसके अतिरिक्त, कुछ सामाजिक संगठनों ने भी उपराज्यपाल से चुनाव की प्रक्रिया को जल्द शुरू करने की अपील की। इन सभी प्रयासों के बाद उपराज्यपाल ने मेयर चुनाव की प्रक्रिया को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी है। उन्होंने एमसीडी से एक रिपोर्ट मांगी है। केंद्र सरकार से प्राप्त अधिकारों के तहत अब वे स्वयं पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति कर सकते हैं। एमसीडी के अनुसार, उसने उपराज्यपाल के निर्देश पर रिपोर्ट तैयार कर ली है और वह यह रिपोर्ट उपराज्यपाल को जल्द ही सौंप देगी।