भारत और चीन के रिश्तों में तकरीबन चार वर्षों से जारी तनाव को खत्म करने को लेकर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच एक महीने में दूसरी बार बातचीत हुई है। गुरुवार को लाओस की राजधानी वीएनतियान में विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई। इसमें सीमा पर जारी तनाव को शीघ्र खत्म करने के साथ ही द्विपक्षीय संबंधों के दूसरे पहलुओं पर बात हुई है।
बैठक को लेकर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
बैठक के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह वार्ता वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से जुड़े शेष मुद्दों का शीघ्रता से समाधान करने और द्विपक्षीय संबंधों को प्रगाढ़ करने पर केंद्रित रही।
यह वक्तव्य इसलिए महत्वपूर्ण है कि भारत अभी तक यह कहता रहा है कि जब तक सीमा पर अमन व शांति स्थापित नहीं हो जाती, चीन के साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो सके। ऐसे में व्यापक द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने की बात करना वार्ता के सकारात्मक दिशा में जाने की तरफ इशारा करता है।
चार जुलाई को भी हुई थी दोनों नेताओं की बैठक
जयशंकर और वांग यी के बीच इसके पहले चार जुलाई को अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के दौरान बैठक हुई थी। वहां भी इनके बीच विस्तार से सीमा पर जारी तनाव को लेकर बातचीत हुई थी। उस बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया था कि सीमा विवाद से जुड़े शेष बचे मुद्दों को सुलझाने के लिए शीघ्र ही दोनों देशों के बीच कूटनीति स्तर पर बातचीत होगी। यह बात गुरुवार को हुई बैठक के बाद जारी बयान में भी कही गई है।
समझौते के मुताबिक ही कदम उठाएंगे दोनों देश
भारत के बयान के मुताबिक, दोनों मंत्रियों ने यह माना है कि सीमा पर शांति के लिए वहां से दोनों तरफ से सैनिकों की संपूर्ण वापसी जरूरी है। साथ ही दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए एलएसी का आदर करना चाहिए। दोनों पक्षों ने इस संबंध में पूर्व में बनी सहमतियों, समझौतों के मुताबिक कदम उठाने की बात भी कही है।
सीमा विवाद सुलझाने के लिए फिर होगी बैठक
भारतीय विदेश मंत्री ने भारत-चीन संबंधों के लिए आपसी आदर, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलताओं का आदर करने पर जोर दिया है। यह भी फैसला हुआ कि सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के नेतृत्व में होने वाली बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी।
2020 में चीनी सेना ने की थी पूर्वी लद्दाख में घुसपैठ
मालूम हो कि वर्ष 2020 से जारी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच कूटनीतिक व सैन्य कमांडर स्तर पर बात हो रही है। अप्रैल-मई, 2020 में चीन की सेना ने पूर्वी लद्दाख के इलाके में घुसपैठ कर ली थी। इससे विवाद काफी बढ़ गया था। एक समय दोनों तरफ से एक-एक लाख सैनिकों की तैनाती की गई थी। कई स्थलों से दोनों तरफ की सेनाओं को वापस बुलाया जा चुका है, लेकिन कुछ स्थलों पर अभी भी भारत व चीन की सेनाओं तैनात है। भारत का कहना है कि अप्रैल-मई, 2020 से पहले वाली स्थिति को बहाल किए बिना रिश्तों को सामान्य नहीं बनाया जा सकता।
जयशंकर ने आसियान देशों के अपने समकक्षों के साथ की द्विपक्षीय बैठकें
विदेश मंत्री जयशंकर ने गुरुवार को आसियान बैठक से इतर फिलीपींस, कंबोडिया और तिमोर लेस्ते के अपने समकक्षों से मुलाकात की। इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की प्राथमिकताओं पर चर्चा की।
जयशंकर और अन्य सभी नेता इस समय लाओस की राजधानी विएनतियान में आसियान के तहत आसियान-भारत, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और आसियान क्षेत्रीय मंच की बैठक में हिस्सा ले रहें हैं। जयशंकर ने कहा कि वह आसियान के साथ भारत के संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए उत्सुक हैं।