राजग सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट सोमवार से शुरू हो रहे सत्र में मंगलवार को पेश होगा। इसके माध्यम से सरकार तो अगले पांच वर्ष का रोडमैप इंगित करेगी, लेकिन विपक्षी दल भी सियासी हिसाब-किताब के लिए मुद्दों की तलवारें निकाले तैयार बैठे दिख रहे हैं।
नीट और मणिपुर हिंसा पर चर्चा जैसे जिन मुद्दों पर पहला सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया, उन्हीं पर चर्चा के लिए कांग्रेस फिर से अड़ी है। वैसे सुप्रीम कोर्ट सोमवार को नीट मुद्दे पर अपना फैसला दे सकता है। उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों की पहचान उजागर करने का सरकारी आदेश विपक्ष के तेवरों में तड़का लगाने के लिए तैयार है।
राज्यों को विशेष दर्जा देने की मांग
आंध्र प्रदेश और ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को विपक्ष हवा देना चाहता है तो बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की विपक्षी दल राजद की मांग में गठबंधन सहयोगी जदयू और लोजपा के मिले सुर केंद्र की गठबंधन सरकार पर दबाव बना सकते हैं। बजट सत्र को सुचारू संचालित करने की मंशा और परंपरा के तहत रविवार को सरकार की ओर से सर्वदलीय बैठक बुलाई गई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सरकार की ओर से राज्यसभा में पार्टी के नेता जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरन रिजीजू और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित 44 दलों के कुल 55 नेता शामिल हुए। सरकार की ओर से बताया गया कि 22 जुलाई से 12 अगस्त तक चलने वाले इस सत्र में कुल 19 बैठकें होंगी। इसमें 22 जुलाई को आर्थिक सर्वेक्षण, 23 को आर्थिक बजट संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया जाएगा। इसके अलावा छह विधेयक भी सदन में प्रस्तुत किए जाने हैं।
सरकार ने कहा- सकारात्मक चर्चा के लिए तैयार
सरकार ने सभी दलों से सत्र के सुचारू संचालन में सहयोग मांगते हुए आश्वस्त किया कि हर आवश्यक मुद्दे पर सकारात्मक चर्चा के लिए सरकार तैयार है। मगर, इस चर्चा के दौरान विपक्षी दलों के नेताओं ने जिस तरह से मुद्दों को प्रमुखता से रखा है, उससे साफ संकेत मिलता है कि सत्र हंगामेदार ही होगा और सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच टकराव खूब देखने को मिल सकता है।
लोकसभा उपाध्यक्ष पद की मांग पर अडिग विपक्ष
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने की मांग पर अडिग है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सर्वदलीय बैठक में मणिपुर हिंसा और नीट गड़बड़ी सहित पेपर लीक पर चर्चा कराने की मांग रखी। समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव, एआईएमआईएम के असदउद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानदारों की पहचान उजागर किए जाने वाले योगी सरकार के आदेश का विरोध कर स्पष्ट कर दिया कि इसे वह संसद में उठाएंगे।
आंध्र को भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग
बताया गया है कि वाईएसआरसीपी सदस्य ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ राजग सहयोगी तेलुगु देसम पार्टी की सरकार पार्टी के नेताओं को इरादतन निशाना बना रही है, इसलिए इसमें केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे या वहां राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। साथ ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग भी उठाई।
इस मुद्दे पर केंद्र में भी सहयोगी टीडीपी ने बेशक अपनी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन जब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग राजद द्वारा उठाई गई तो गठबंधन सरकार में सहयोगी लोजपा और जदयू नेताओं ने भी उसका समर्थन किया। बीजू जनता दल ने भी ओडिशा को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग बैठक में रखी। बैठक में लोजपा की ओर से केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, जदयू से राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, संजय झा, एनसीपी से प्रफुल्ल पटेल, कांग्रेस से प्रमोद तिवारी, गौरव गोगोई आदि नेता शामिल हुए।