देश में भिक्षावृत्ति की स्थिति पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने न सिर्फ गंभीर चिंता जताई है, बल्कि आयोग ने इससे निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को एक गाइडलाइन भी जारी की है, जिसमें भिक्षावृत्ति में लगे लोगों की स्थिति में सुधार करने के लिए जरूरी कदमों की सिफारिश की गई है।
इसके साथ ही आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों से जल्द से जल्द इस पर अमल करने और अगले दो महीनों में इसे लेकर अमल रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है। आयोग ने भिक्षावृत्ति को लेकर यह चिंता तब जताई है, जब देश में भिक्षावृत्ति में लगे लोगों की संख्या बढ़ रही है। 2011 की जनगणना में जहां देश में करीब चार लाख लोग भिक्षावृत्ति से जुड़े हुए थे, वहीं मौजूदा समय में इनकी संख्या बढ़कर करीब सात लाख पहुंचने का अनुमान है।
30 शहरों को भिक्षावृत्ति से मुक्त बनाने की मुहिम
देश में भिक्षावृत्ति में लगे लोगों की संख्या बढ़ने का यह अनुमान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की ओर से शहरों को भिक्षावृत्ति से मुक्त बनाने को लेकर शुरु की गई मुहिम के दौरान लगाया गया है। इसमें शहरों में अभियान शुरू करने से पहले उनका सर्वे कराया गया था। हालांकि यह योजना मौजूदा समय में करीब 30 शहरों में चलाई जा रही है, जिन्हें 2026 तक भिक्षावृत्ति से मुक्त करने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है, लेकिन इसे लेकर राज्यों का जो रवैया है, उनमें इन लक्ष्य को हासिल कर पाना एक बड़ी चुनौती है।
इस बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ( एनएचआरसी ) के महासचिव भरत लाल ने केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे पत्र में इस भिक्षावृत्ति में लगे लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए तेजी से काम करने की सलाह दी है।
NHRC ने जारी की गाइडलाइन
आयोग ने इसे लेकर एक गाइडलाइन भी जारी की है, जिसमें इसमें लगे लोगों का पहले सर्वे कराने का कहा है। उसके बाद उनके रहने व स्वास्थ्य के साथ बच्चों की पढ़ाई के अलावा उनके जीवकोपार्जन के लिए जरूरी उपाय करने को कहा है। आयोग ने केंद्र व राज्य सरकारों से इस पर तुरंत अमल करने के साथ ही दो महीने के भीतर इसके अमल की रिपोर्ट भी देने कहा है।
जरूरी सुविधाएं देने की सिफारिश
आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों के लिए जारी गाइडलाइन में भिक्षावृत्ति में लगे सभी लोगों का पहचान पत्र बनाने, आधार कार्ड के साथ उनका राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जन-धन कार्ड जैसी सभी लाभकारी योजनाओं से जोड़ने की सिफारिश की है। इसके साथ ही इनके लिए बनाए गए शेल्टर होम में उनकी नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच की जाने की भी सलाह दी गई है।
गाइडलाइन में कहा गया है कि गंभीर बीमारियों से पीडि़तो को तुंरत उपचार दिया जाए। इनके लिए पौष्टिक भोजन और कपड़े की व्यवस्था की जाए। वहीं इन्हें स्किल की शिक्षा भी दी जाए। ताकि यह भिक्षावृत्ति को छोड़कर दूसरा काम कर सकें। इन्हें आवास योजना के तहत घर भी दिए जाने चाहिए, ताकि इनका एक निश्चित ठिकाना हो सके।