क्या Passive Smoking बना सकती है COPD का शिकार?

स्मोकिंग आजकल काफी आम हो चुका है। हमारे आसपास कई लोग अक्सर Smoking करते नजर आते हैं। धूम्रपान कई तरीकों से हमारी सेहत के लिए हानिकारक होता है। इसकी वजह से कई स्वास्थ्य समस्याएं लोगों को अपना शिकार बना सकती हैं। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी COPD इन्हीं समस्याओं में से एक है जो इन दिनों Non-Smokers को भी अपना शिकार बना रही है।

इन दिनों स्मोकिंग कई लोगों की लाइफस्टाइल का एक अहम हिस्सा बन चुका है। धूम्रपान सेहत के लिए काफी हानिकारक होती है। इससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं लोगों को अपना शिकार बना सकती है। क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज यानी COPD इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिससे इन दिनों कई लोग प्रभावित हैं। स्मोकिंग करने वालों को तो यह अपना शिकार बनाती ही है, लेकिन यह बीमारी नॉन- स्मोकर्स को भी अपनी गिरफ्त में लेने लगी है। ऐसे में नॉन- स्मोकर्स में COPD विकसित होने के कुछ प्रमुख और संभावित कारणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की।

नॉन-स्मोकर्स में COPD के कारण

इस बारे में सी के बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम में हेड ऑफ क्रिटिकल केयर डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर बताते हैं कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज कई कारणों से धूम्रपान न करने वालों को प्रभावित कर सकता है। इनमें पर्यावरणीय प्रदूषकों, जैसे रसायन, धूल और इंडस्ट्रीयल स्मोक का लंबे समय तक संपर्क आदि एक महत्वपूर्ण योगदान कारक है। इसके अलावा एक अन्य रिस्क फैक्टर बायोमास फ्यूल के कारण होने वाला इनडोर वायु प्रदूषण है, जिसका इस्तेमाल खाना पकाने और हीटिंग के लिए खराब वेंटिलेशन वाली जगहों में किया जाता है।

डॉक्टर आगे यह भी बताते हैं कि कुछ लोग जेनेटिक कारणों से भी लोग सीओपीडी के प्रति संवेदनशील होते हैं। COPD बचपन के रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन के साथ-साथ अस्थमा या अन्य पुरानी रेस्पिरेटरी डिजीज के पारिवारिक इतिहास की वजह से भी विकसित हो सकता है। इतना ही नहीं इनडायरेक्ट यानी पैसिव स्मोकिंग के कारण भी इस बीमारी का जोखिम काफी बढ़ जाता है।

पैसिव स्मोकिंग से कैसे बढ़ता है COPD का खतरा

मणिपाल हॉस्पिटल, कोलकाता में पल्मोनोलॉजिस्ट सलाहकार डॉ. सौम्या दास बताती हैं कि पैसिव स्मोकिंग सीओपीडी विकसित होने का साइलेंट कारक है। फेफड़ों की एक बीमारी है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और जीवन की गुणवत्ता कम हो जाती है। स्मोकिंग और पैसिव स्मोकिंग COPD के विकास का एक व्यापक जोखिम कारक है, जिससे इसकी संभावना 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

डॉक्टर आगे बताती हैं कि धूम्रपान न करने वाले लोग, जो नियमित रूप से अपने घरों या वर्कप्लेस पर, विशेष रूप से बंद वातावरण में, स्मोकिंग के संपर्क में आते हैं, वे असुरक्षित होते हैं। साथ ही उनमें सीओपीडी और फेफड़ों के कैंसर जैसे स्मोकिंग से जुड़े अन्य दुष्प्रभाव विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है।

ज्यादा हानिकारक है साइडस्ट्रीम स्मोक

वहीं, मणिपाल हॉस्पिटल गोवा में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. जॉन मुचाहारी बताते हैं कि सिगरेट की नोक यानी आगे से निकलने वाला 85% साइडस्ट्रीम धुआं पैसिव स्मोकर्स द्वारा लिया जाता है। जबकि धूम्रपान करने वाले लोग सिर्फ 15% मेनस्ट्रीम धुंआ अंदर लेते और छोड़ते हैं। पैसिव स्मोकर्स द्वारा लिया जाने वाले साइडस्ट्रीम धुआं मेनस्ट्रीम की तुलना में ज्यादा जहरीला है और दोनों में कार्सिनोजेन और रेस्पिरेटरी टॉक्सिन्स सहित 4,000 से ज्यादा रासायनिक कंपाउंड पाए जाते हैं।

कई अध्ययनों ने मेनस्ट्रीम धुंए और तीन रेस्पिरेटरी समस्याओं अस्थमा, लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन और सीओपीडी के बीच संबंध नजर आया है। साथ ही पैसिव स्मोक के ज्यादा संपर्क में आने से सीओपीडी का जोखिम बढ़ता है। ऐसे में इससे बचने के लिए अपने घर या आसपास न खुद धूम्रपान करें और न ही किसी को करने दें। स्मोकिंग- फ्री पॉलिसी की मदद से हर किसी को धूम्रपान के हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सकता हैं।

ऐसे करें सीओपीडी बचाव

  • सीओपीडी की संभावनाओं को रोकने के लिए जागरूकता सबसे बड़ी रोकथाम है।
  • वर्कप्लेस पर या सार्वजनिक स्थानों पर स्मोकिंग एरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, ताकि धूम्रपान न करने वाले लोग कार्सिनोजेन के संपर्क में न आएं।
  • धूम्रपान करने वालों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वे परिवार के अन्य सदस्यों और बच्चों के निकट स्मोकिंग न करें।
  • कोई भी दवा सीओपीडी मरीजों की संख्या में वृद्धि को नहीं रोक सकती। अग किसी व्यक्ति को सीओपीडी हो जाता है, तो इसका इलाज उपलब्ध हैं, लेकिन जागरूकता ही एकमात्र रोकथाम है।

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