गुरुवार व्रत पर ‘शुभ’ योग समेत बन रहे हैं ये 5 अद्भुत संयोग

धार्मिक मत है कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। ज्योतिष भी कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए गुरुवार का व्रत करने की सलाह देते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से सुख और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं।

 जगत के पालनहार भगवान विष्णु को गुरुवार का दिन प्रिय है। इस दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए गुरुवार का व्रत भी रखा जाता है। ज्योतिष भी गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की सलाह देते हैं। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और गुरुवार का व्रत करने से करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। अत: विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियों गुरुवार का व्रत रख विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करती हैं। ज्योतिषियों की मानें तो गुरुवार व्रत पर सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को सभी कार्यों में शुभता प्राप्त होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-

आज का पंचांग

शुभ मुहूर्त

पंडित हर्षित शर्मा जी की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि आज सुबह 07 बजकर 49 मिनट तक है। इसके बाद चतुर्दशी तिथि शुरू होगी। चतुर्दशी तिथि 21 जून को सुबह 07 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।

साध्य योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सबसे पहले साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन संध्याकाल 08 बजकर 13 मिनट पर हो रहा है। इसके बाद शुभ योग का संयोग बन रहा है। शुभ योग पूर्ण रात्रि तक है। ज्योतिष साध्य और शुभ योग को किसी कार्य के श्रीगणेश के लिए उत्तम और श्रेष्ठ मानते हैं। इन योग में जगत के नाथ भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

सर्वार्थ सिद्धि योग

ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का एक साथ निर्माण हो रहा है। इन दोनों योग का निर्माण सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है। वहीं, समापन संध्याकाल 06 बजकर 10 मिनट पर होगा। इन दोनों योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से उत्तम फल की प्राप्ति होगी।

पंचांग

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 22 मिनट पर

चन्द्रोदय- शाम 06 बजकर 01 मिनट पर

चंद्रास्त- प्रात: काल 04 बजकर 16 मिनट पर (21 जून)

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 42 मिनट से 03 बजकर 38 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 41 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल – दोपहर 02 बजकर 08 मिनट से 03 बजकर 52 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 08 बजकर 53 मिनट से  10 बजकर 38 मिनट तक

दिशा शूल – दक्षिण

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल

वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुंभ

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