मांग-आपूर्ति ही नहीं, पानी का असमान वितरण भी दिल्ली में ढा रहा कहर

दिल्ली सरकार के मुताबिक, जल संकट शुरू होने के बाद से दिल्ली में 950 एमजीडी पानी का उत्पादन हुआ। आम दिनों यह 1,000 एमजीडी था। वहीं, पानी की मांग इस वक्त 1295-1300 एमजीडी पहुंच गई है।

झुलसा देने वाली गर्मी में दिल्ली पर जल संकट की दोहरी मार पड़ रही है। इसमें मांग और आपूर्ति के बीच इस वक्त करीब 350 एमजीडी का अंतर बना हुआ है। वहीं, पानी का वितरण भी असमान पर है। सबसे ज्यादा दिक्कत दक्षिणी दिल्ली में है। संगम विहार समेत दक्षिणी दिल्ली के ज्यादातर इलाके में हर व्यक्ति रोजाना 45-50 लीटर पानी मिल रहा है। जबकि लुटियन दिल्ली के लिए यह आंकड़ा 200 लीटर से ऊपर है। विशेषज्ञ मानते हैं कि दूसरे राज्यों से पानी मांगने की जगह दिल्ली को स्थानीय स्तर पर जल संकट का हल ढूंढना पड़ेगा। यमुना नदी के साथ तालाब इसका कारगर जरिया हो सकते हैं।

दिल्ली सरकार के मुताबिक, जल संकट शुरू होने के बाद से दिल्ली में 950 एमजीडी पानी का उत्पादन हुआ। आम दिनों यह 1,000 एमजीडी था। वहीं, पानी की मांग इस वक्त 1295-1300 एमजीडी पहुंच गई है। मांग और आपूर्ति के बीच करीब 350 एमजीडी का अंतर है। इसका असर दिल्ली में हर जगह दिख रहा है। इसकी प्रतिध्वनि सुप्रीम अदालत से लेकर सियासी गलियारे तक में सुनी जा सकती है। उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार के साथ हरियाणा व हिमाचल प्रदेश की सरकारें आमने-सामने हैं।

नहीं संभले तो गहराएगा संकट
आने वाले सालों में संकट किस कदम गहराएगा, इसकी तस्दीक दिल्ली सरकार का 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण करता है। इसमें दर्ज है कि दिल्ली की करीब 2.15 करोड़ आबादी को मानक के हिसाब से अभी 1290 एमजीडी की जरूरत है। 2031 की अनुमानित 2.48 करोड़ आबादी के लिए 1364 एमजीडी और 2041 की तीन करोड़ की अनुमानित आबादी के लिए 1500 एमजीडी पानी चाहिए होगा। विशेषज्ञों की मानें तो अगर अभी से इंतजाम नहीं हुए तो आने वाले सालों में हालात बेकाबू होंगे।

वितरण असमान, संगम विहार में मिल रहा सिर्फ 45 लीटर पानी
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने संगम विहार इलाके में जलापूर्ति का करीब छह महीने तक अध्ययन किया। पांच किमी के दायरे में फैली इस कालोनी की आबादी करीब दस लाख है। बीते दिनों जारी रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली सरकार के मानक है कि हर व्यक्ति को रोजाना 208 लीटर पानी मुहैया कराना है। वहीं, केंद्र सरकार का मानक 135 लीटर है। इसके विपरीत यहां लोगों को औसतन सिर्फ 45 लीटर पानी की आपूर्ति हो रही है। इस वक्त सबसे ज्यादा संकट दक्षिणी दिल्ली इलाके में है।

बाहरी नहीं, आंतरिक स्रोत पर ध्यान देना जरूरी
संगम विहार का शोध दिल्ली के जल संकट की सटीक व्याख्या करता है। इसमें दूसरे राज्यों से पानी मांगने से बात नहीं बनेगी। इसकी जगह दिल्ली को जलापूर्ति की अपनी पूरी व्यवस्था को ठीक करना होगा। साथ में शोधित जल के दुबारा इस्तेमाल को बढ़ावा देना होगा। फिलवक्त 37 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से जो 1000 एमसीडी सीवेज को साफ किया जाता है, उसमें से 400 एमसीडी यमुना में छोड़ने की बाध्यता है। बाकी को दिल्ली की अलग-अलग झीलों व तालाबों में जमा कर इसके दोबारा इस्तेमाल का विकल्प आजमाना होगा। वहीं, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए सघन प्रयास हर स्तर पर करने पड़ेंगे। -दीपेंदर कपूर, रिसर्च डायरेक्टर, सीएसई

जल संकट से निपटने में यमुना हो सकती मददगार
”पीपल इनीशिएटिव फॉर मैली से निर्मल यमुना” नाम की एक रिपोर्ट बताती है कि पल्ला से जैतपुर के बीच यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में 100-200 एकड़ के करीब 25 वेटलैंड बन सकते हैं। कुछ जगहों पर इनका आकार 400 एकड़ तक हो सकता है। बाढ़ के दौरान 100 एकड़ के एक वेटलैंड में करीब 500 मिलियन गैलन पानी संचित होगा। इस हिसाब से बाढ़ का 8-16 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी दिल्ली में रोका जा सकेगा। इससे करीब एक चौथाई समस्या दूर सकती है।

बायोडायवर्सिटी का वेटलैंड कारगर
वजीराबाद के बायोडायवर्सिटी पार्क फेज-दो में करीब 100 एकड़ का एक वेटलैंड है। हर साल जब यमुना में बाढ़ आती है तो यह लबालब हो जाता है। साल भर इसमें पानी की कोई दिक्कत नहीं होती। इस तरह की संभावना यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में तलाशी जा सकती है। -फैयाज खुदसर, इंचार्ज, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क

जलापूर्ति के स्रोत:
1. चैनल से:
. कैरियर लाइन्ड चैनल (सीएलसी): मुनक से 719 क्यूसेक जारी व दिल्ली में 683 क्यूसेक प्राप्त।
. दिल्ली सब ब्रांच (डीएसबी): दिल्ली में 330 क्यूसेक।
. यमुना नदीः 120 क्यूसेककुल: 1133 क्यूसेक (612.5 एमजीडी)।
2. गंगा जल की आपूर्ति गंगा कैनाल/भागीरथी के लिए मुरादनगर रेगुलेटर (200 क्यूसेक) और सोनिया विहार (270 क्यूसेक) जल शोधन संयंत्रों से होती है। यह मात्रा 470 क्यूसेक यानि 254.08 एमजीडी है।
3. 117 एमजीडी भूजल यमुना बाढ़ क्षेत्र व दिल्ली में दूसरी जगहों पर लगे रेनीवेल व ट्यूब वेल से मिलता है।

जल शोधन संयंत्र

संयंत्र, क्षमता, स्रोत
हैदरपुर, 241, मुनक नहर

सोनिया विहार, 143, गंग नहर

वजीराबाद, 134, यमुना नदी

भागीरथी, 112, गंग नहर

चंद्रावल, 98, यमुना नदी

द्वारका, 52, मुनक नहर

नांगलोई, 44, मुनक नहर

ओखला, 21, मुनक नहर

बवाना, 20, मुनक नहर

रेनीवेल/ट्यूबवेल 135

कुल 1000

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