बुधवार को इन 03 शुभ योग में करें भगवान गणेश की पूजा

भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम विघ्नहर्ता है। इसका आशय दुख हरने से है। धार्मिक मत है कि बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सभी दुख और दर्द दूर हो जाते हैं। साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होती है। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं।

बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु एवं गणेश जी को अति प्रिय है। इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही विशेष उपाय भी किए जाते हैं। धार्मिक मत है कि बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा करने से आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं-

आज का पंचांग (Panchang 12 June 2024)

शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि आज शाम 07 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि शुरू होगी। साधक अपनी सुविधा अनुसार स्नान-ध्यान कर भगवान गणेश एवं भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर सकते हैं।

पंचांग

सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 20 मिनट पर

चन्द्रोदय- सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर

चंद्रास्त- शाम 11 बजकर 59 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 36 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 18 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल – दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से 02 बजकर 06 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक

दिशा शूल – उत्तर

योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का संयोग संध्याकाल तक है। साथ ही आज रवि योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।

शिववास योग

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। आज भगवान शिव संध्याकाल 07 बजकर 16 मिनट तक नंदी पर विराजमान रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से साधक को सभी कार्यों में पूर्ण सफलता प्राप्त होगी।

ताराबल

अश्वनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल

वृषभ, कर्क, कन्या, तुला, मकर, कुंभ

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