पिछले साल की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2023-2027 की अवधि के दौरान ऐसा होने की आंशका सिर्फ एक प्रतिशत है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि 2024 और 2028 के बीच प्रत्येक वर्ष के लिए वैश्विक औसत सतह तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने और 1850-1900 की बेसलाइन से 1.9 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने के आसार हैं।
उत्तर भारत में लोग तपती गर्मी से परेशान हैं। आने वाले वर्षों में यह स्थिति और भयावह होने वाली है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने बुधवार को कहा कि 47 फीसदी संभावना है कि पूरे पांच साल के दौरान वैश्विक तापमान का औसत पूर्व-औद्योगिक युग से 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगा।
पिछले साल की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2023-2027 की अवधि के दौरान ऐसा होने की आंशका सिर्फ एक प्रतिशत है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि 2024 और 2028 के बीच प्रत्येक वर्ष के लिए वैश्विक औसत सतह तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने और 1850-1900 की बेसलाइन से 1.9 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने के आसार हैं।
एक वर्ष तापमान 2023 से भी अधिक पहुंच जाएगा
वहीं 80 प्रतिशत आशंका है कि अगले पांच वर्षों में से एक वर्ष ऐसा होगा, जब तापमान औद्योगिक युग की शुरुआत की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होगा। 86 प्रतिशत संभावना है कि कम से कम एक वर्ष तापमान 2023 से भी अधिक पहुंच जाएगा।
वर्तमान में 2023 सबसे गर्म वर्ष रहा
वर्तमान में 2023 सबसे गर्म वर्ष रहा है। 2015 में देशों ने जलवायु प्रभावों को और अधिक खराब होने से रोकने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से काफी नीचे और 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने पर सहमति व्यक्त की थी। ग्रीनहाउस गैसों की तेजी से बढ़ती सांद्रता के कारण पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1850-1900 के औसत की तुलना में पहले ही लगभग 1.15 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है।
पिछला महीना अबतक का सबसे गर्म मई रहा
यूरोपीय संघ की जलवायु सेवा का कहना है कि पिछला महीना अब तक का सबसे गर्म मई का महीना रहा। यूरोपीय संघ की कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा दुनिया के तापमान पर नजर रखती है। संस्थान ने कहा कि पिछले महीने सतह के हवा का औसत तापमान 15.9 डिग्री सेल्सियस रहा, जो औद्योगिक समय से पहले के अनुमानित मई के औसत से 1.52 डिग्री अधिक है।