उत्तराखंड में भाजपा की हैट्रिक का आधार बनीं ये छह ट्रिक

चुनाव का रंग चढ़ने के साथ ही इस अभियान में कांग्रेस, बसपा व अन्य विपक्षी दलों के 10 हजार से अधिक नेता भाजपा में शामिल हो गए। वहीं, स्टार प्रचारक और बूथ प्रबंधन भी इसका आधार रहा।

उत्तराखंड की पांचों सीटों पर भाजपा की छह ट्रिक उसकी जीत की हैट्रिक का आधार बनीं। लोकसभा चुनाव का एलान होने से पहले ही पार्टी ने अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए ज्वाइनिंग अभियान का जो जाल तैयार किया, उसमें सबसे पहले विपक्षी दलों के जनाधार वाले नेता फंसे।

1-कांग्रेस को दिए झटके पर झटके

चुनाव का रंग चढ़ने के साथ ही इस अभियान में कांग्रेस, बसपा व अन्य विपक्षी दलों के 10 हजार से अधिक नेता भाजपा में शामिल हो गए। अभियान के जरिये भाजपा ने कांग्रेस को झटके पर झटके दिए। गढ़वाल सीट पर कांग्रेस के इकलौते विधायक राजेंद्र भंडारी त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए। यह कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा झटका था। उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल जिले में पार्टी के 2022 के चुनाव में कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशियों ने भाजपा का दामन पकड़ लिया। भाजपा इस अभियान के जरिये कांग्रेस का मनोबल तोड़ने में कामयाब रही।

2- स्टार प्रचारकों की मची धूम

चुनाव में माहौल बनाने के लिए भाजपा ने स्टार प्रचारकों को एक-एक करके मैदान में उतारना शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री ने रुद्रपुर और ऋषिकेश में चुनावी सभाएं कर भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाया। अमित शाह, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ को भी पार्टी ने चुनाव प्रचार में उतारा। चुनाव में जहां भाजपा के स्टार प्रचारकों की धूम मची थी, कांग्रेस अपने दिग्गज नेताओं का इंतजार कर रही थी।

3- बूथ प्रबंधन की रणनीति काम आई

सांगठनिक मोर्चे पर भाजपा की जीत में बूथ प्रबंधन की रणनीति का भी असर रहा। पार्टी ने प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को तीन माह पूर्व ही मोर्चे पर भेज दिया। ये पूर्णकालिक अपने विधानसभा क्षेत्रों में संगठन नेताओं के साथ पार्टी के एजेंडे के अनुरूप सक्रियता से जुट गए। केंद्रीय नेतृत्व ने प्रचार के लिए जो कार्यक्रम दिए, उन्हें पूर्णकालिकों ने जमीन पर उतारने के प्रयास किए। पन्ना प्रमुखों से पार्टी ने घर-घर वोटरों को साधने की कोशिश की। हालांकि, मतदान प्रतिशत बढ़ाने का जो लक्ष्य पार्टी ने तय किया था, वह उस तक नहीं पहुंच सकी। पार्टी ने शक्ति केंद्रों और बूथ कमेटियों के माध्यम से प्रचार को प्रभावी बनाने की पूरी कोशिश की।

4- चल गया प्रत्याशी बदलने का दांव

भाजपा ने हरिद्वार और गढ़वाल लोस सीट से प्रत्याशी बदलने का जो दांव चला वह चल गया। दोनों सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की। पार्टी ने आंतरिक सर्वे के आधार पर हरिद्वार से सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और गढ़वाल से पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत की जगह त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी को मैदान में उतारा था। पार्टी के पास यह रिपोर्ट थी कि दोनों सीटों पर प्रत्याशी नहीं बदले तो उसे सत्तारोधी रुझान का सामना करना पड़ेगा। इससे बचने के लिए पार्टी प्रत्याशी बदलने का प्रयोग किया। पार्टी का यह प्रयोग सही साबित हुआ।

5- 10.50 लाख लाभार्थियों को साधने का मिला लाभ

चुनाव की शुरुआत से ही भाजपा ने केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों को साधने के लिए लाभार्थी सम्मेलन और लाभार्थी संपर्क अभियान के कार्यक्रम बनाए थे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी ने 10.50 लाख लाभार्थियों तक पहुंचने की कोशिश का लाभ भी मिला। पार्टी ने पीएम जनधन योजना, किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, पीएम आवास, पीएम खाद्य सुरक्षा योजना, अटल आयुष्मान योजना, लखपति दीदी योजना समेत कई योजनाओं का प्रचार किया।

6- यूसीसी, नकल और दंगा विरोधी कानून का रहा असर

भाजपा मानती है कि लोकसभा चुनाव में धामी सरकार का समान नागरिक संहिता कानून भी प्रदेश में भाजपा की जीत का आधार बना। धामी सरकार में लिए गए कुछ प्रमुख फैसलों से प्रभावित होकर मतदाताओं ने पार्टी के पक्ष में मतदान किया। पार्टी मतदाताओं के बीच जबरन धर्मांतरण कानून, दंगा रोधी कानून, नकल विरोधी कानून, महिला क्षैतिज आरक्षण कानून से जुड़े मुद्दों को लेकर पहुंची, जिसका उसे फायदा मिला।

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