गोवा में लिविंग विल को सहमति देने वाले पहले शख्स बने हाई कोर्ट के जज

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के न्यायाधीश एमएस सोनक ने शुक्रवार को यहां एक समारोह में ‘इंड ऑफ लाइफ केयर (ईओएलसी)’ वसीयत को अपनी सहमति दे दी। इसके साथ ही गोवा ‘एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव्स’ (एएमडी) सुविधा शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है।

‘इंड आफ लाइफ केयर’ नीति उन लोगों को दी जाने वाली देखभाल है, जिनकी मौत करीब होती है। बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा पीठ में कार्यरत न्यायाधीश ‘लिविंग विल’ के नाम से प्रचलित वसीयत को सहमति देने वाले पहले व्यक्ति बन गए हैं।

लिविंग विल वास्तव में एक दस्तावेज

‘लिविंग विल’ वास्तव में एक दस्तावेज है, जिसमें कोई व्यक्ति यह बताता है कि वह जीवन के अंतिम समय में किस तरह का इलाज कराना चाहता है। यह वास्तव में इसलिए तैयार किया जाता है, ताकि गंभीर बीमारी की हालत में अगर व्यक्ति खुद फैसले लेने की हालत में न रहे तो पहले से तैयार दस्तावेज के हिसाब से उसके बारे में फैसला लिया जा सके।

एएमडी के क्रियान्वयन को संभव बनाने वाले सभी पक्षकारों को बधाई

पणजी के निकट हाई कोर्ट परिसर में आयोजित समारोह में डा. संदेश चोडाणकर और दिनेश शेट्टी गवाह के तौर पर जबकि गोवा सेवा निदेशालय की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मेधा साल्कर राजपत्रित अधिकारी के रूप में उपस्थित थीं। इस अवसर पर जस्टिस सोनक ने राज्य में एएमडी के क्रियान्वयन को संभव बनाने वाले सभी पक्षकारों को बधाई दी।

लिविंग विल की पेचीदगियों को समझने की अपील

उन्होंने कहा कि इसके साथ ही गोवा देश का पहला राज्य बन गया है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप लिविंग विल सुविधा को अक्षरश: लागू किया है। उन्होंने लोगों से लिविंग विल की पेचीदगियों को समझने और सोच-समझकर निर्णय लेने की अपील भी की।

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