दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्सों में पिछले कुछ समय से लगातार Mumps के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह एक वायरल इन्फेक्शन है जो किसी को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि बच्चे इसके प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। ऐसे में एक्सपर्ट बता हैं कि बच्चों के लिए क्यों खतरनाक है मम्प्स और कैसे करें इस बीमारी से अपने बच्चों का बचाव।
पिछले कुछ दिनों से देशभर में मम्प्स (Mumps) के मामलों से लगातार तेजी देखने को मिल रही है। दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) समेत आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल जैसे कई राज्यों में बीते कुछ महीनों से इस वायरस के मामले बढ़ने लग हैं। मम्प्स एक वायरल बीमारी है, जो ज्यादातर बच्चों को प्रभावित करती है। इसमें अधिकतर फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और कभी-कभी मरीज बिना लक्षण वाले भी हो सकते हैं। ऐसे में इस बीमारी के बढ़ते मामलों के बीच हमने एक्सपर्ट से बात कर यह जानने की कोशिश की, कि आखिर बच्चों को यह बीमारी ज्यादा प्रभावित क्यों करती है और इससे बचने के उपाय क्या है।
इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए गुड़गांव के सीके बिड़ला हॉस्पिटल में – नियोनेटोलॉजी और बाल रोग सलाहकार डॉ श्रेया दुबे और मैक्स हॉस्पिटल गुरुग्राम में इंटरनल मेडिसिन के चिकित्सा सलाहकार और वरिष्ठ निदेशक डॉ. आशुतोष शुक्ला से बातचीत की।
क्या है मम्प्स?
डॉ. आशुतोष शुक्ला बताते हैं कि मम्प्स एक वायरल संक्रमण है, जो युवा, वयस्कों और बच्चों को समान रूप से प्रभावित करता है। इसमें फ्लू जैसे लक्षण, जिसमें मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, सलाइवरी ग्लैंड्स पर दर्द शामिल हैं, दिखाई देते हैं। यह बूंदों के माध्यम से फैलता है और आमतौर पर मास्क पहनकर, बार-बार हाथ धोकर पर्याप्त सावधानी बरतकर इसे रोका जा सकता है।
बच्चों को ज्यादा क्यों प्रभावित कर रहा मम्प्स?
डॉक्टर श्रेया बताती हैं कि बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही है, जिसकी वजह से वे बीमारियों से लड़ने में कम सक्षम होते हैं और इसलिए वह मम्प्स के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसके अलावा, वे अक्सर क्रेच और स्कूल के वातावरण में दूसरों के साथ बातचीत करते हैं, जिससे वायरस को आसानी से फैलने में मदद मिलती है।
वहीं, डॉ. आशुतोष के मुताबिक बहुत से लोग मम्प्स से सुरक्षित नहीं हैं और बच्चों में यह आम है, क्योंकि इसका कारण खराब स्वच्छता संबंधी आदतें, खराब स्वच्छता की स्थिति, बच्चों की खराब इम्युनिटी और खांसने- छींकने की आदत इस वायरस को आसानी से फैलने में मदद करती है।
मम्प्स से बचने के लिए अपनाएं ये तरीके
साफ-सफाई का ध्यान रखें
बच्चों को अक्सर अपने हाथ साबुन और पानी से धोने के लिए प्रोत्साहित करें, खासकर शौचालय का उपयोग करने या खांसने या छींकने के बाद। ऐसे लोगों के साथ चश्मा, कटलरी, या अन्य निजी वस्तुएं साझा करने से बचें, जो संक्रमित हो सकते हैं।
वैक्सीनेशन
सुनिश्चित करें कि बच्चों को मीजल्स, मम्प्स और रूबेला के लिए एमएमआर की वैक्सीन जरूर लगवाएं। इस वैक्सीन की मदद से मम्प्स से प्रभावी ढंग से बचा जा सकता है।
खांसते और छींकते समय खुद को ढकें
वायरस युक्त रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट्स को फैलने से रोकने के लिए, बच्चों को खांसते या छींकते समय अपने मुंह और नाक को टिशू या अपनी कोहनी से ढकना सिखाएं।
बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें
संक्रमण फैलने के जोखिम को कम करने के लिए, अगर पड़ोस में मम्प्स का प्रकोप हो, तो संक्रमित लोगों के साथ संपर्क को कम करने का प्रयास करें।
लक्षणों पर ध्यान दें
अगर किसी बच्चे में मम्प्स के लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट, भूख न लगना और लार ग्रंथियों में सूजन, तो उन्हें नर्सरी या स्कूल न भेजें और घर पर रखें।