सुप्रीम कोर्टे ने आज शुक्रवार को उन याचिकाकर्ताओं पर फैसला लिया, जिन्होंने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक और अश्लील दृश्य दिखाने पर रोक लगाने की याचिका दर्ज कराई थी।
याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पेश वकील ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि याचिका में उठाया गया मुद्दा यह है कि क्या ओटीटी प्लेटफार्म पर (अश्लीलता और आपत्तिजनक) जैसी अभद्र चीजे दिखाने की रजामंदी दी जा सकती है जो सभी उम्र के दर्शकों के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है।
न्यायमूर्ति पीठ का फैसला
वकील ने यह आरोप लगाया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नग्नता दर्शाने वाले आपत्तिजनक दृश्य दिखाए जा रहे हैं। इस बात पर न्यायमूर्ति पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ”सेंसर बोर्ड के पास जाएं।” पीठ ने याचिकाकर्ता से पूछा, “आप सरकार को एक प्रतिनिधित्व बनाकर दें।” साथ ही यह भी पूछा कि क्या, ”आप दर्शक नियंत्रण पर कुछ दिशानिर्देश चाहते हैं?”
याचिका वापस लेने की मांग
याचिकाकर्ता के वकील ने इस मुद्दे पर सरकार से संपर्क करने की छूट के साथ याचिका वापस लेने की मांग की है। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता को सरकार को प्रतिनिधित्व देने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी। इसमें कहा गया है कि यदि ऐसा कोई प्रतिनिधित्व दिया जाता है, तो उसके ऊपर संबंधित कानूनों के मुताबिक फैसला लिया जाना चाहिए। जब पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि याचिका में सिर्फ एक फिल्म पर सवाल उठाए गए हैं। तो इसपर वकील ने जवाब में कहा कि मुद्दा ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई गई नग्नता के बारे में है।